निष्ठुरता
नई परिस्थितियों के अनुरूप अपना रहन-सहन नए ढंग से बदल लिया जाए तो बिगड़ी बात बनने में देर न लगेगी, पर यह सूझ-बुझ उत्पन्न तभी होगी, जब आत्मनिरीक्षण किया जाए और परिस्थितियों के साथ तालमेल न बिठा पाने के अपने दोष को समझाया एवं सुधारा जाए। अध्यात्म प्रयोजनों में लोग अक्सर बाहरी क्षेत्र में ढूँढ-खोज करते हैं। ईश्वर का अनुग्रह पाना है, देवताओं से वरदान लेना है, समर्थ गुरु ढूँढना है, किसी साधन- संपन्न का सहयोग लेना है, तो उन्हीं की खुशमद की जाती है और काम नहीं बनता तो उन्ही को निष्ठुरता बताई जाती है।
If we change our lifestyle in a new way according to the new circumstances, it will not take long to become a bad thing, but this understanding will arise only when introspection is done and explained our fault of not being able to adjust with the circumstances and To be rectified For spiritual purposes, people often search in the outer realm. If you have to get the grace of God, take boons from the gods, find a capable guru, take the help of some resourceful person, then they are pleased and if the work is not done, then they are called cruelty.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...