धैर्य और साहस
जो काम करना हो, उसे सोच-समझकर किया जाए। अपनी सामर्थ्य, साधन, परिस्थित आदि का आरंभ में ही अनुमान लगा लिया जाए। मार्ग की कठिनाइयों की कल्पना कर लेने में हार नहीं, इतने पर भी यदि अपना धैर्य और साहस साक्षी होता हो, तो संकल्पपूर्वक उस मार्ग पर कदम बढ़ाना चाहिए। बढ़ाने के उपरांत उस पर दृढ़ रहना चाहिए। प्रयास की दिलचस्पी घटने नहीं देनी चाहिए। ऐसी मनःस्थिति ही साधना कही जाती है और साधना यदि सच्ची हो तो वह सिद्धि के लक्ष्य तक पहुँचकर रहती है। साधना के लिए एक मोटी अवधि बारह वर्ष की निर्धारित की गई है। जिनमें इतने समय का धैर्य और उत्साह होता है, वे देर-सवेर में सिद्धपुरुष, सफल मानव होकर रहते हैं।
Whatever work has to be done, it should be done thoughtfully. Estimate of your capability, means, situation etc. should be done in the beginning itself. Do not give up in imagining the difficulties of the path, but even if your patience and courage is a witness, then you should move on that path with determination. After increasing it should be firm on it. Effort should not be allowed to lose interest. Such a state of mind is called sadhna and if sadhna is true then it reaches the goal of accomplishment. A rough period of twelve years has been prescribed for sadhana. Those who have patience and enthusiasm for so long, they sooner or later remain as perfect men, successful human beings.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...