साहस और भय में हमेशा संतुलन रखा जाए। कुछ बिन्दु ऐसे होते हैं, जिनमें कुछ भय रखना अच्छी बात है और कुछ बिन्दु ऐसे होते हैं, जिनमें साहस की सीमा रखना ज्यादा श्रेष्ठ रहता है।
आवश्यक सूचना पर ध्यान दें - ग्वालियर संभाग में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का अधिकृत / Recognized & Approved Legal केन्द्र केवल डबरा के महावीर पुरा में है। ग्वालियर संभाग में इसके अतिरिक्त ट्रस्ट का अन्य कोई Authorized केन्द्र या शाखा अथवा मन्दिर नहीं है। किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी केन्द्र के लिए अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट जिम्मेदार नहीं है। आर्यसमाज विवाह (Arya Samaj Marriage) करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8989738486 (समय - प्रातः 10 से सायं 8 बजे तक) पर श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है। 1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है। सावधान ! Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। सावधान करने के बाद भी जाने-अनजाने में यदि आप गलत जगह फंसते हैं, तो अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई जवाबदारी नहीं होगी। युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज डबरा ग्वालियर द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र, डबरा ग्वालियर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र डबरा" ग्वालियर में ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्यसमाज संस्कार केन्द्र है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - क्षेत्रीय कार्यालय (ग्वालियर) Regional Office (Gwalior) ---------------------------------------------- राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।
3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।
4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।
5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।
6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।
(समय - प्रातः 10 से सायं 8 बजे तक)
आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
ग्वालियर शाखा
महावीरपुरा, डबरा
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) 475110
हेल्पलाइन : 8989738486, 8120018052
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Gwalior Branch
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Gwalior (M.P.) 475110
Helpline : 8989738486, 8120018052
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दशहरा मैदान के सामने
बैंक कॉलोनी, इन्दौर (म.प्र.) 452009
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Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan
Bank Colony, Indore (M.P.) 452009
Tel.: 0731-2489383, 8120018052
www.aryasamajmarriagehelpline.com
There should always be a balance between courage and fear. There are some points in which it is good to have some fear and there are some points in which it is better to have a limit of courage.
पुलिस जितना काम नहीं करती उससे ज्यादा उसका भय काम करता है। तो यह भय अच्छा है, क्योंकि इससे व्यक्ति समाज-विरोधी, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से बचता है। हाँ, मूर्खतापूर्ण साहस करना हानिकारक है। अगर कोई खूँखार शेर के सामने निहत्था लड़ने के लिए चला जाएगा तो उसकी मृत्यु निश्चित है।
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The fear of the police works more than the work they do not do. So this fear is good, because it prevents a person from anti-social, anti-national activities. Yes, it is harmful to have a foolish adventure. If someone goes to fight unarmed in front of a ferocious lion, then his death is certain.
बच्चे ही हमारा भविष्य हैं इनके संस्कार और आदर्श शिक्षा से ही समाज और राष्ट्र की उन्नति संभव है। हिंदी भारतवर्ष के कोने-कोने में बोली और समझी जाती हैं। यद्पि स्कूलों में हिंदी अनिवार्य विषय के रूप में पढाई जाती है, फिर भी विद्यार्थी इसके प्रति लापरवाह हैं। इसकी जिम्मेदारी परिवार और माता-पिता की भी है, जिनका हिंदी के प्रति गैर जिम्मेदारी भरा रवैया रहता है, इसे बदलना होगा।
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Children are our future, the progress of the society and the nation is possible only by their culture and ideal education. Hindi is spoken and understood in every corner of India. Though Hindi is taught as a compulsory subject in schools, yet the students are careless about it. It is also the responsibility of the family and parents, who have an irresponsible attitude towards Hindi, this has to be changed.
वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...