समय के सदुपयोग
एक स्थिति मुरदे जैसी भी है, वह भी संयोग से पड़कर धारा में बहता रहता है, परंतु वह बेचारा निश्चेतन, निष्प्राण कुछ भी करने की स्थिति में नहीं रहता। उसे तो बस, लहरें जिधर उठाती-पटकती रहती हैं, उधर ही वह पटखनी खाता रहता है। न तो उसकी कोई मंजिल होती है और न ही वह उस तक पहुँचने के मकसद से समय का सदुपयोग करने में सक्षम होता है। करे भी क्या, मुरदा जो ठहरा। तनिक सोचें हम अपनी स्थिति को; यदि हम समय का समुचित सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो हमारी अपनी स्थिति कैसी है ? जो कुछ भी है, हमें अपनी इसी क्षण संपूर्ण रूप से समय के सदुपयोग के लिए सन्नद्ध होना है, हम इसके लिए संकल्पित हों।
A situation is like a dead body, it also falls by chance and keeps flowing in the stream, but that poor inconscient, lifeless person is not in a position to do anything. It is just that, wherever the waves keep lifting and thrashing him, there he keeps on thrashing. Neither he has any destination nor is he able to utilize the time properly for the purpose of reaching it. What to do, whoever remains dead. Think a little bit about our situation; If we are not able to utilize the time properly, then how is our own situation? Whatever it is, we have to be devoted to the best use of our time at this very moment, we should be determined for it.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...