मनोरंजन के साधन
आजकल उपयोग में लाए जाने वाले मनोरंजन के साधनों में टी०वी०, फ़िल्में और पुस्तकें प्रमुख हैं, जो प्रायः पशु-प्रवृत्तियों को बढ़कर मनुष्य को दुर्घटना का शिकार बनाती है। मानवीय गुणों के प्रति आस्था जगाने वाले उपन्यास, कहानियाँ, कविताएँ, फिल्में बहुत कम दीख पड़ती हैं। रोमांटिक और अश्लील पुस्तकें बड़ी मात्रा में धड़ल्ले से बिकती हैं। अस्वस्थ मनोरंजन कुसंस्कारों को दृढ़ बनाता जाता है और बहुत घातक असर पैदा करता है। अतः मनोरंजन को केवल विश्राम ही नहीं, मन को प्रभावित करने वाली एक कला के रूप में देखना चाहिए। जो मनोरंजन कुरुचि जगाए, विकृतियाँ बढ़ाएं, उससे दूर रहना चाहिए।
Today, TV, movies and books are prominent in the means of entertainment used, which often increases the animal instincts and makes humans a victim of accidents. Novels, stories, poems, films that arouse faith in human qualities are rarely seen. Romantic and pornographic books are sold in large quantities. Unhealthy entertainment tends to perpetuate bad habits and create very deadly effects. Therefore, entertainment should be seen not only as relaxation, but as an art to influence the mind. One should stay away from entertainment which arouses displeasure, increases distortions.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...