अविनाशी
भगवान का संकेत है कि दुनिया वालों की मित्रता तो स्वार्थ की है, केवल मेरी मित्रता ही निःस्वार्थ है। शरणागत भी होना हो तो परमात्मा की शरण गहना, क्योंकि वही एक जगह ऐसी है जहाँ दुनिया के मायवी दैत्य तेरी शांति में दखल नहीं दे पायेंगे। इस संसार की उत्पत्ति मेरे से है, स्थिति मेरे से है, और अंत में प्रलय भी मेरी इच्छा से ही होगा। इस जगत् का अविनाशी बीज मैं हूँ। जगत् का लय स्थान भी मैं हूँ अर्थात् अंत में यह जगत् मेरे में ही लय होता है अर्थात् भगवान ही विश्व के परम निधान है।
God's sign is that the friendship of the people of the world is selfish, only my friendship is selfless. If you want to take refuge, then take refuge in God, because that is the only place where the world's elusive demons will not be able to interfere in your peace. The origin of this world is from me, the situation is from me, and in the end the doom will also happen by my will. I am the imperishable seed of this world. I am also the rhythmic place of the world, that is, in the end, this world is rhythmic in me only, that is, God is the ultimate source of the world.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...