आत्मिक स्थिति
पारिवारिक स्नेह, सद्भाव, सौजन्य, सहयोग की प्रवृत्ति। जिसमें जितनी है; उसकी आत्मिक स्थिति उतनी ही मानी जाती है और वह उतना ही श्रद्धा-सम्मान का पत्र बनता है। दूसरों के प्रति जिन्हें सहानुभूति नहीं, मात्र अपने स्वार्थ में जो डूबे रहते हैं; ऐसे मनुष्य रूखे, नीरस, कठोर, संकीर्ण एवं घिनौना समझे जाते हैं। अपने को दूसरों की चिंता नहीं, तो दूसरे ही उदारता का व्यवहार क्यों करेंगे और क्यों सद्भाव रखेंगे ? ऐसी दशा में अपने मतलब-से-मतलब रखने की नीति अपनाने वाले भौतिक क्षेत्र में सहयोग और आत्मिक क्षेत्र में शांति-संतोष पाने से वंचित ही बने रहते हैं।
Propensity for family affection, harmony, courtesy, cooperation. in which there is; His spiritual condition is considered the same and he becomes a letter of reverence and respect. Those who do not have sympathy for others, who are only immersed in their own selfishness; Such people are considered rude, dull, harsh, narrow and disgusting. If you do not care about others, then why would others behave generously and keep goodwill? In such a situation, those who adopt the policy of keeping their own meaning remain deprived of getting cooperation in the material field and peace and contentment in the spiritual realm.
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वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...