सुवर्ण भूमि भारत
वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द विज्ञान और सम्पन्नता के गौरव को देश की पराधीनता अवस्था में भी उजागर देखना चाहते थे। काशी के मानस मन्दिर के शिशुमार चक्र की चर्चा भी उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में की है कि जयपुराधीश इसकी संभाल करते रहे, तब तक खगोल विद्या की जानकारी प्राप्त होती रही है। सम्पन्नता के सन्दर्भ में लिखा गया वाक्य देश की स्तुति की बहुत सुन्दर सूक्ति है। यह आर्यावर्त देश ऐसा देश है, जिसके सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं है। इस देश की भूमि सुवर्णादि रत्नों को उत्पन्न करती है। इसलिए सृष्टि के आदि में आर्यलोग इसी देश में आकर बसे। जितने भूगोल में देश हैं, वे सब इस देश की प्रशंसा और आशा रखते हैं कि पारसमणि पत्थर सुना जाता है, यह बात तो झूठी है। परन्तु आर्यावर्त देश ही सच्चा पारसमणि है, जिसको लोहे रूप दरिद्र विदेशी छूते के साथ ही सुवर्ण अर्थात धनाढ्य हो जाते हैं।
महर्षि दयानन्द द्वारा सत्यार्थ प्रकाश में की गई देश की वन्दना उस काल की है, जब अधिकांश लोग अंग्रेजी सत्ता की प्रशंसा में और लंदन और टेमस नदी के गुणगान में अपने को धन्य समझते थे।
At the beginning of the world, the Aryans settled in this country. All the countries in the world praise this country and hope that it is said that the existence of the Parasmani stone is false. But the Aryavart country is the true Parasmani, which turns the iron-like poor foreigners into gold i.e. rich people as soon as they touch it. The praise of the country done by Maharishi Dayanand in Satyarth Prakash is of that time when most of the people considered themselves blessed in praising the British rule and in singing the praises of London and the Thames River.
Golden Land India, All India Arya Samaj, Official Web Portal of All India Arya Samaj, All India Arya Samaj Mandir, All India Arya Samaj Marriage, All India Arya Samaj Vivah, All India Arya Samaj Marriage Helpline, All India Arya Samaj Vivah Mandap, Inter Caste Marriage Helpline, Marriage Service in All India Arya Samaj Mandir, All India Arya Samaj Intercaste Marriage, Marriage Service in All India Arya Samaj, All India Arya Samaj Inter Caste Marriage Annapurna Indore
सुवर्ण भूमि भारत वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द विज्ञान और सम्पन्नता के गौरव को देश की पराधीनता अवस्था में भी उजागर देखना चाहते थे। काशी के मानस मन्दिर के शिशुमार चक्र की चर्चा भी उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में की है कि जयपुराधीश इसकी संभाल करते रहे, तब तक खगोल विद्या की जानकारी प्राप्त होती...
वेद मन्त्र द्रष्टा ऋषि महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र को जाना व समझा था तभी वह वेदों पर अनेक घोषणायें कर सके थे। इनमें चारों वेदों में मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं है, ऐसी घोषणा भी सम्मिलित है। उनकी इस चुनौती को देश भर के बड़े से बड़े किसी पण्डित ने स्वीकार नहीं किया...
पाश्चात्य देशों की सोच की नकल करते-करते आज की युवा पीढी मर्यादाहीन हो रही है। विदेश में बहुचर्चित Live in Relationship नाम का कीड़ा, बिना किसी रोक-टोक के हमारे देश में पैर पसारने में कामयाब हो गया है। वर्तमान युवा पीढी दाम्पत्य जीवन में बंधने से पहले अपने जीवनसाथी को परखने के लिए Live in...